एक फकीर 50 साल से एक ही जगह बैठकर रोज की 5 नमाज पढता था.
एक दिन आकाशवाणी हुई और खुदा की आवाज आई "हे फकीर.! तु 50 साल से नमाज पढ रहा है, लेकिन तेरी एक भी नमाज स्वीकार नही हुई"
फकीर के साथ बैठने वाले दुसरे बंदो को भी दु:ख हुआ कि, यह बाबा 50 साल से नमाज पढ रहे है और इनकी एक
भी नमाज कबुल नही हुई. खुदा यह तेरा कैसा न्याय.?
लेकिन फकीर दु:खी होने के बजाय खुशी से नाचने लगा. दुसरे लोगो ने फकीर को देखकर आश्चर्य हुआ.
एक बंदा फकीर से बोला : बाबा, आपको तो दु:ख होना चाहिए कि आपकी 50 साल कि बंदगी बेकार गई.!
फकीर ने जवाब दिया : " मेरी 50 साल की बंदगी भले ही कबुल ना हुई तो क्या हुआ...!!! लेकिन खुदा को तो पता है ना कि मैँ 50 साल से बंदगी कर रहा हूँ"
इसिलिए दोस्तो जब आप मेहनत करते हो और फल ना मिले तो निराश मत होना, क्युकिँ सतगुरु को तो पता है ही कि आप मेहनत कर रहे है, इसिलिए फल तो जरुर देगें.....
फकीर बुलेशाह से जब किसी ने पूछा, कि आप इतनी गरीबी में भी भगवान का शुक्रिया कैसे करते हैं तो बुलेशाह ने कहा चढ़दे सूरज ढलदे देखे... बुझदे दीवे बलदे देखे., हीरे दा कोइ मुल ना जाणे.. खोटे सिक्के चलदे देखे. जिना दा न जग ते कोई, ओ वी पुत्तर पलदे देखे। उसदी रहमत दे नाल बंदे पाणी उत्ते चलदे देखे। लोकी कैंदे दाल नइ गलदी, मैं ते पत्थर गलदे देखे। जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी, हथ खाली ओ मलदे देखे .. ..कई पैरां तो नंगे फिरदे, सिर ते लभदे छावा, मैनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुकर मनावा l
Comments