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Positive

एक_मछली_छोटे_तालाब_में अपने परिवार के साथ रहती थी तालाब में पानी कभी भी सुख जाता था तो उस परमपिता परमेश्वर को याद करती थी पूजा तप आदि खूब किया करती थी एक दिन तेज़ तूफ़ान और बारिश आयी जिससे मछली का परिवार बहकर नदी में बहने लगा और मछली ने व् उसके परिवार ने नदी के विपरीत दिशा में बहने की काफी कोशिश् की और थक हारकर नदी के प्रवाह में ही बहकर ईश्वर को खूब कोसा और भला बुरा कहा और कुछ दिन में ही समुन्दर में पहुच गये। और वहाँ जाकर उनको अहसास हुआ क़ि ईस्वर ने हमको दरीया से निकालकर विशालता में ला दिया उसने हमारे जीवन में तूफ़ान लाकर अपने विशाल स्वरुप से जोड़ दिया ।अत: हर पल उसकी रजा में राजी रहो वो पूरा समुन्दर दे रहा है और हम एक चम्मच लेकर खड़े है ।हम उसके हर कार्य के लिए कोसते रहते है nagetive सोचते रहते है अपनी सोच बदलो हर पल positive सोचो एक माँ अपने बच्चे का एक पल के लिए भी बुरा नहीं सोच सकती तो फिर वो पालनहार कैसे बुरा कर
 सकता है.

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ईश्वरीय भाणा

फकीर बुलेशाह से जब किसी ने पूछा, कि आप इतनी गरीबी में भी भगवान का शुक्रिया कैसे करते हैं तो बुलेशाह ने कहा चढ़दे सूरज ढलदे देखे... बुझदे दीवे बलदे देखे., हीरे दा कोइ मुल ना जाणे.. खोटे सिक्के चलदे देखे. जिना दा न जग ते कोई, ओ वी पुत्तर पलदे देखे। उसदी रहमत दे नाल बंदे पाणी उत्ते चलदे देखे। लोकी कैंदे दाल नइ गलदी, मैं ते पत्थर गलदे देखे। जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी, हथ खाली ओ मलदे देखे .. ..कई पैरां तो नंगे फिरदे, सिर ते लभदे छावा, मैनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुकर मनावा l

आत्मविश्वास

एक राजा के पास कई हाथी थे, लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी, समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था, इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था। समय गुजरता गया  और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा।                       अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था। इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे। एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया। उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया। उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है। हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा।                        राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे। जब बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नहीं...

देनेवाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़ के,”

देनेवाला जब भी देता एक गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था, वह बहुत ही ईमानदार और भोला-भाला था, वह सदा ही दूसरों की सहायता करने के लिए तैयार रहता था, एक बार की बात है कि शाम के समय वह दिशा मैदान (शौच) के लिए खेत की ओर गया, दिशा मैदान करने के बाद वह ज्योंही घर की ओर चला त्योंही उसके पैर में एक अरहर की खूँटी (अरहर काटने के बाद खेत में बचा हुआ अरहर के डंठल का थोड़ा बाहर निकला हुआ जड़ सहित भाग) गड़ गई, उसने सोचा कि यह किसी और के पैर में गड़े इससे अच्छा है कि इसे उखाड़ दूँ, उसने जोर लगाकर खूँटी को उखाड़ दिया, खूँटी के नीचे उसे कुछ सोने की अशरफियाँ दिखाई दीं, उसके दिमाग में आया कि यह पता नहीं किसका है? मैं क्यों लूँ? अगर ये अशरफियाँ मेरे लिए हैं तो जिस राम ने दिखाया, वह घर भी पहुँचाएगा (जे राम देखवने, उहे घरे पहुँचइहें), इसके बाद वह घर आकर यह बात अपने पत्नी को बताई, रामू की पत्नी उससे भी भोली थी; उसने यह बात अपने पड़ोसी को बता दी, पड़ोसी बड़ा ही घाघ था, रात को जब सभी लोग खा-पीकर सो गए तो पड़ोसी ने अपने घरवालों को जगाया और कहा, ”चलो, हमलोग अशरफी कोड़ (खोद) लाते हैं,” पड़ोसी और उसके घरवाले...